Wednesday 5 October 2016

क्या आप जानते है बॉलीवुड सुपरस्टार्स के असली नाम। Bollywood In Hindi

रजनीकान्त


रजनीकान्त आज फिल्मी दुनिया के महान नायक है। एक कारपेंटर से कुली बने, कुली से बस कंडक्टर और एक बस कंडक्टर से दुनिया के सबसे ज्यादा प्रसिद्ध सुपरस्टार बने थे। फिल्मी दुनिया में आने से पहले उन्होने अपना नाम बदल लिया था। इनका असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है।

सलमान खान


सलमान खान को भारत में तो शायद ही कोई होगा जो नहीं जनता है। आज बॉलीवुड में जो खिताब और रुतबा सलमान खान के पास है। वह केवल गिने-चुने अभिनेताओं के पास ही है। सलमान खान का असली नाम अब्दुल रशीद सलीम है।

अजय देवगन


हिन्दी जगत की दमदार व रोमेंटिक फिल्में बनाने वाले अजय देवगन रियल ज़िंदगी में भी बहुत अच्छे है। इन्होनें भी फिल्मी पर्दे पर कदम रखने सें पहले अपना नाम बदल लिया था। इनका असली नाम विशाल देवगन है।

दिलीप कुमार


दिलीप कुमार हिन्दी सिनेमा में ट्रेजडी किंग के नाम से मशहूर एक लोकप्रिय अभिनेता है। जन्म से इनका नाम मोहम्मद युसुफ खान था। फिल्मी दुनिया में आने के बाद इन्होनें अपना नाम दिलीप कुमार रख लिया था।

प्रिती जिंटा


प्रिती जिंटा हिन्दी सिनेमा की महान नायिकाओं में से एक है। इन्होनें भी फिल्मी जगत में कदम रखने से पहले ही अपना नाम बदल लिया था। इनका असली नाम प्रीतम जिंटा है।

सन्नी देओल


फिल्मी पर्दे पर जब भी एक्शन फिल्मों और शानदार डायलॉग की बात की जाती है तो सन्नी देओल का नाम अवश्य आता है। सन्नी देओल का असली नाम अजय सिंह देओल है। लेकिन इन्होनें फिल्म जगत में आने से पहले अपना नाम बदल लिया था।

शिल्पा शेट्टी


सुन्दर चेहरे और अच्छी आवाज के साथ बॉलीवुड में कदम रखने वाली शिल्पा सेट्टी महान नायिका है। इनका असली नाम अश्विनी शेट्टी है।

अक्षय कुमार


खिलाड़ियों का खिलाड़ी नाम से मशहूर यह हीरो फिल्मी जगत की एक अलग ही पहचान है। इनहोनें भी बॉलीवुड में आने से पहले अपना नाम बदल लिया था। इनका असली नाम राजीव भाटिया है। 

कैटरीना कैफ


बॉलीवुड में शानदार धूम मचाने वाली कैटरीना को शायद ही कोई न जनता हो, लेकिन सबकी तरह दिलचस्प बात यह है की कैटरीना नें भी बॉलीवुड में आने से पहले अपना नाम बदला था। इनका असली नाम काते तुरक्योते है।

सैफ अली खान


नवाब के नाम से मशहूर इस हीरो का भी बॉलीवुड में काफी प्रभाव है। इनका असली नाम साजिद अली खान है।

सनी लियोनी


इस अदाकारा का नाम लेते ही दिमाक में अलग ही खयाल पैदा होते है। बहुत ही कम समय में बॉलीवुड में अच्छी पहचान बना चुकी सनी नें भी अपना नाम बदला था। इनका असली नाम करणजीत कौर वोहरा है।

Thursday 29 September 2016

हा मैंने गांधी को मारा था पर क्यों.... यह नहीं जानना चाहोगे। Nathuram Godse In Hindi

नाथूराम गोडसे एक हिन्दू रास्ट्रवादी के साथ-साथ पत्रकार भी थे। गोडसे का अपने समय का चर्चित कार्य गांधी की हत्या करना था। परन्तु इस हत्या के पीछे यह कारण बहुत बड़ा था की विभाजन के समय हिन्दू-मुसलमानों की भयंकर हिंसा में लाखों लोगों की हत्या कर दी गयी थी। और हिंसक घटना का पूरा जिम्मेदार गांधी को ही माना गया था।



गांधी की हत्या के कारण:-

भारत-पाकिस्तान के विभाजन के समय कई महत्वपूर्ण निर्णय हुए थे। जिनमे से एक यह था की भारत को पाकिस्तान को 75 करोड़ रुपये देने थे और उनमें से 20 करोड़ रुपये तो दे दिये गए थे। परन्तु विभाजन के कुछ ही समय बाद पाकिस्तान नें भारत के कश्मीर पर आक्रमण कर दिया जिसके कारण गुस्साये नेहरू व वल्लभ भाई पटेल नें बाकी के 55 करोड़ रुपये नहीं देने का फेसला किया। लेकिन गांधीजी इस कार्य के विरुद्ध अनसन पर बेठ गये। गांधी के इस निर्णय पर नाथूराम और उनके साथियों नें गांधी की हत्या करने की सोची।

अनसन कार्य से दुखी नाथूराम व उसके साथियों ने 20 जनवरी 1947 को दिल्ली के बिरला हाउस पहुँचकर नाथूराम के साथी मदनलाल ने गांधी की प्रार्थना-सभा में बम फेका। उनके निर्णय के अनुसार बम से उत्पन्न अफरा-तफरी के समय ही गांधी को मारना था लेकिन उस समय उनकी पिस्तोल ही खराब हो गयी थी जिसके कारण गोली नहीं चल सकी। उस समय सारे साथी तो भाग गये लेकिन मदनलाल भीड़ के द्वारा पकड़ा गया।

नाथूराम गोडसे गांधी को मारने के लिए वापस दिल्ली आए और वहाँ पर पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के शिविरों में घूम रहे थे। वहाँ से एक शरणार्थी से उन्होने इटालवी कम्पनी की "वैराटा" पिस्तोल खरीदी

अमृतसर के जलियाँवाला बाग में हुये नरसंहार के दोसी जनरल डायर पर अभियोग चलाने के लिए गांधी नें भारतवासियों के इस आग्रह पर समर्थन देने से साफ मना कर दिया था।

भगत सिंह व उसके साथियों को फांसी देने के फेसले से सारा देश दुखी था। सभी क्रान्तिकारियों नें गांधी से यह कहा की वह इस मामले में हस्तक्षेप कर इनको फांसी से बचायें, परन्तु गांधी नें भगत सिंह की हिंसा को गलत बताते हुये सभी की मांग को अस्वीकार कर दिया।

गांधी ने अनेक समारोह पर गुरु गोविंद सिंह, महाराणा प्रताप व शिवाजी की देशभक्ति को भी सही नहीं बताया।

पाकिस्तान से आए हिन्दू शरणार्थियों को खाली पड़ी मस्जिदों में गांधी नें शरण नहीं लेने दी और सभी व्रद्ध स्त्रियों व बालकों को ठंडी रात में मस्जिदों से बाहर खदेड़ दिया गया।

केरल के मोपला मुसलमानों द्वारा वहाँ के हिन्दुओ की मारकाट की गयी जिससे करीब 1400 हिन्दू मारे गए व 2000 से ज्यादा को मुसलमान बना लिया गया। गांधी नें इस हिंसा का विरोध नहीं किया, और उनकी बहादूरी का वर्णन किया गया।


गांधी की हत्या:-

30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे दिल्ली के बिड़ला भवन में प्रार्थना-सभा के समय से 40 मिनट पहले पहुँच गए। जैसे ही गांधी प्रार्थना-सभा के लिये परिसर में दाखिल हुए, नाथूराम ने पहले उन्हें हाथ जोड़कर प्रणाम किया उसके बाद बिना कोई विलम्ब किये अपनी पिस्तौल से तीन गोलियां चलाकर गांधी का अंत कर दिया। उसके बाद गोडसे ने वहाँ से भागने का प्रयास नहीं किया।


गोडसे को मृत्युदण्ड:-

नाथूराम गोडसे को साथी नारायण आप्टे के साथ 15 नवम्बर 1949 को पंजाब की अम्बाला जेल में फांसी देकर मर दिया गया।

 उन्होने अपने अंतिम शब्दों में कहा था।

         "यदि अपने देश के प्रति देशप्रेम रखना कोई पाप है तो मैनें यह पाप 
         किया है और यदि यह पुण्य है तो उसके द्वारा अर्जित पुण्य पद पर 
         में अपना नम्र अधिकार व्यक्त करता हूँ "

Wednesday 28 September 2016

क्या आप जानते है शोले फिल्म से जुड़े शानदार किस्से। Sholay in Hindi

शोले फिल्म अपने आप में आज भी एक जीवित इतिहास है इस फिल्म का हर एक किरदार अपनी जगह पर लाजवाब था। उस समय की यह महान फिल्म आज भी लाखो लोगों के दिलों पर राज करती है। 


यह फिल्म 15 अगस्त 1975 को रिलीज हुयी थी। इस फिल्म को बनाने में 2 साल से ज्यादा समय लगा था। इस फिल्म की कहानी लिखने से लेकर रिलीज होने तक कई ऐसे शानदार किस्से है जिनके बारे मे शायद आप नहीं जानते है।

1    फिल्म "शोले" में गब्बर के रोल के लिए डैनी को लेना चाहते थे। पर 
      डैनी फिल्म धर्मात्मा की शूटिंग में व्यस्त होने के कारण यह रोल 
      अमजद खान को दिया गया।

2    इस फिल्म में "जय" के रोल के लिए अमिताभ की जगह शत्रुघन 
      सिन्हा का नाम रमेश सिप्पी ने पहले ही तय कर रखा था मगर 
      सलीम-जावेद तथा ध्रमेन्द्र ने अमिताभ का नाम फ़ाइनल करवाया।

3    हेमा मालिनी फिल्म "शोले" में बसंती ताँगेवाली का रोल करने को 
     कतई तैयार नहीं थी। इसके पीछे फिल्म अंदाज तथा सीता और गीता 
     की जबरदस्त सफलता थी। बाद में रमेश सिप्पी के मनाने पर हेमा 
     इस रोल को करने के लिए राजी हुयी थी।


4    "शोले" फिल्म की हर एक बात डॉइलोग्स के रूप में प्रसिद्ध हो गयी 
       थी। जेसे:- "जो डर गया, समझो मर गया" , "कितने आदमी थे", 
      "इतना सन्नाटा क्यों है, भाई", "अरे ओ सांभा", "अब तेरा क्या होगा 
       कालिया", "चल धन्नो आज तेरी बसंती की इज्जत का सवाल है", 
      "ये रामगढ़ वाले कोनसी चक्की का पिसा हुआ खाते है रे", "बहुत 
       कटिली नचनियाँ है रे", "बसंती, इन कुत्तो के सामने मत नांचना", 
       यह डॉइलोग्स आज भी लोगों की जुबान पर रहते है।

                                                                                  तेरा क्या होगा कालिया....?

5    फिल्म की शूटिंग के दोरान हेमा के साथ रोमेंटिक सीन के समय 
      धर्मेंद्र खुद जानबूझकर गलतियाँ करते थे, ताकि सीन दुबारा रिटेक हो 
      सके। इसके बदले में धर्मेंद्र यूनिट के लोगों को पैसे भी देते थे। संजीव 
      कुमार भी हेमा पर एकदम लट्टू थे लेकिन धर्मेंद्र हेमा मालिनी को 
     शूटिंग में उलझाए रखते थे ताकि संजीव हेमा के पास भी न आ सके 
     और यह बात खुद संजीव कुमार को पता थी।

6    "शोले" फिल्म रिलीज होने पर इसको अच्छी शुरुआत नहीं मिली थी 
      रमेश सिप्पी ने यह प्रस्ताव रखा की फिल्म का अंत का सीन बादल 
      दिया जाए यह सीन दुबारा उसी लोकेशन पर जाकर शूट करके इसमें \
      जोड़ देंगे। और रमेश सिप्पी ने सलीम- जावेद को नया अंत सीन 
      लिखने की ज़िम्मेदारी दी। सलीम- जावेद ने रमेश सिप्पी को 
     समझाया की हमे एक दो दिन ओर रुकना चाहिए। यदि फिल्म फिर 
     भी नहीं चलती है तो बाद में नया अंत शूट कर लेंगे। उनकी बात मान 
     ली गयी। बाद में फिल्म ने जल्दी ही बॉक्स ऑफिस पर रफ्तार पकड़ 
    ली।

7    फिल्म में अमजद खान को गब्बर डाकू का जो नाम दिया गया था वह 
     एक असली डाकू का नाम था। यह बात सलीम खान को उनके पिता 
     बताया करते थे की वह पुलिस पर हमला करता और उनके नाक-कान 
     काट लेता था।


8    ठाकुर के रोल के लिए पहले प्राण का नाम ही लिया गया था। लेकिन 
      रमेश सिप्पी ने संजीव कुमार की जीवंत कलाकारी को देखते हुये यह 
      रोल उनको दिया गया।

9    फिल्म में गब्बर ने जो ड्रेस पहनी थी उसे मुंबई के चोर बाजार से 
     खरीदी गयी थी। और पूरी फिल्म की शूटिंग में इसे एक बार भी नहीं 
     धोई गयी।

10   इस फिल्म के एक सीन में जय-वीरू और ठाकुर को ट्रेन के सफर में 
      लड़ते हुये दिखाया गया था। फिल्म के इस सीन को शूट करने में 7 
      सप्ताह से ज्यादा समय लगा था। 

11   असल ज़िंदगी में जय-वीरू नाम के सलीम खान के कॉलेज में दो 
       दोस्त थे।


12   इस फिल्म में गब्बर का अड्डा और ठाकुर का घर मिलों दूर दिखाया 
       गया गया है परन्तु दोनों स्थान एकदम पास में ही थे।

13   यह फिल्म मुंबई के सिनेमाघर "मिनर्वा" में लगातार पाँच सालों तक 
      चली थी। इसके रिकॉर्ड को आगे चलकर दिलवाले दुल्हनियाँ ले 
      जाएंगे ने तोड़ा था। 

14   सूरमा भोपाली का किरदार भोपाल के एक वन अधिकारी की ज़िंदगी 
       से लिया गया था।

15   जया बच्चन प्रेग्नेंट होने की वजह से इस फिल्म को शूट करने में 
       अधिक दिन लग गए थे।

16   संजीव कुमार ने "शोले" फिल्म की शूटिंग से पहले हेमा मालिनी को 
      शादी करने की बात कही थी लेकिन हेमा ने शादी के लिए माना कर 
      दिया था।

कम्प्यूटर क्या है? । Computer in Hindi

कम्प्यूटर शब्द अंग्रेजी के "Compute" शब्द से बनाया गया है, जिसका सामान्य अर्थ होता है "गणना" करना इसलिए इसे संगणक भी कहा जाता है। पुराने समय में कम्प्यूटर का यूज केवल Calculation करने के लिये किया जाता था किन्तु आजकल इसका यूज हर एक एरिया में अलग-अलग बट गया है। जैसे - शैक्षणिक कार्य , चिकित्सीय कार्य, बैंकिंग कार्य, घरों में , दुकानों में , यातायात के साधनो में इसका उपयोग ज्यादा किया जा रहा है।
Computer केवल वही कार्य करता है जिसके लिए इसमें पहले से उस कार्य कि Command डाली गयी है। कम्प्यूटर के अंदर सोचने की क्षमता नहीं होती है । जो व्यक्ति इसका यूज करते हुए कार्य करता है उसे यूजर कहा जाता है।

कम्प्यूटर मूलतः दो भागों में बांटा गया है।

सॉफ्टवेर
हार्डवेयर

Tuesday 27 September 2016

बेयर ग्रिल्स एक एसा व्यक्ति जो किसी भी जीव को खा सकता है। Bear Grylls in Hindi

बेयर ग्रिल्स

इस व्यक्ति को नाम से कम लोग ही जानते है पर इसकी शक्ल से इसको 2 अरब से ज्यादा लोग जानते है। डिस्कवरी चैनल के माध्यम से इसको अनपढ़ लोग भी जानते है, की यह व्यक्ति किसी भी जिन्दा और मृत जानवर को खा सकता है। यह किसी भी जहरीले जीव को बड़ी सावधानी से अपना भोजन बना लेता है।

एक आदमी किसी भी डर के बिना व अकेले बिना किसी टीम मेम्बर की सहायता के पर्यटन स्थानों में, नदियों, मेदानों ओर रेगिस्तान में घूमता है। और एकदम सरल तरीके से सभी को यह समझाता है की कभी कहीं भी फंस जाओ तो हिम्मत से काम लेने पर आप सुरक्षित बच सकते है।



बेयर ग्रिल्स एक साहसक्रमी, लेखक, और टेलीविज़न कलाकार है। यह अपने टेलीविज़न शो बोर्न सर्वाइवर के लिए विशेष रूप से जाने जाते है।

बोर्न सर्वाइवर को भारत मे "मैन वर्सस वाईल्ड"  के नाम से जाना जाता है।

बेयर ग्रिल्स का जन्म 7 जून 1974 को उत्तरी आयरलैंड में हुआ था।


बेयर ने बहुत कम उम्र में ही अपने पिता से ऊंचाइयों पर चढ़ना और जहाज चलना सीख लिया था।

मैन वर्सस वाईल्ड की एक कड़ी मे उन्होने कहा की जब वे सिर्फ 1 सप्ताह के थे, तब उनकी बहन ने उन्हे बेयर उपनाम दिया था। जबकि इनका सही नाम एडवर्ड माइकल ग्रिल्स है।

16 मई 1998 को ग्रिल्स ने महज 23 साल की उम्र में रीड की हड्डी 3 जगह से टूटने के बाद भी सबसे कम उम्र में एवरेस्ट की चढ़ाई करके अपने बचपन के सपने को साकार किया। यह एक महत्वकांक्षा थी जो 8 साल की उम्र में उनके पिता द्वारा दिये गए एवरेस्ट के चित्र पर उनके मन जगी थी।



बेयर माउन्ट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले ब्रिटेन के सबसे युवा लोगों में से एक है।

माउन्ट एवरेस्ट पर चढ़ने से एक साल पहले ऊंचाई से कूदते समय उनके पैराशूट में छेद हो गया और वो पीठ के बल गिर पड़े, जिसकी वजह से उनकी रीढ़ की हड्डी 3 जगह से टूट गई थी।

ग्रिल्स ने 2000 में सारा ग्रिल्स (उर्फ केनिंग्स नाइट) से शादी की उनके तीन बेटे है।



बेयर ने स्कूल छोड़ने के बाद भारतीये सेना में शामिल होने का विचार किया और सिक्किम व पश्चिम बंगाल, असम में व हिमालय पर्वत श्रंखला में पदयात्रा करते हुए कुछ महीने बिताये।



बेयर ग्रिल्स ऐसी बहुत सी जगहों पर गए है जहां उनसे पहले कोई इंसान नहीं गया।

बेयर को गिटार और पियानो बजाना पसन्द है।

बेयर ने Hot-air-Ballon  के नीचे 7600 मीटर की ऊंचाई पर डिनर करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है।



बेयर Shooting पर जाते समय अपने परिवार की फोटो अपने जूतों में डालकर ले जाना नहीं भूलते हैं।

बेयर ग्रिल्स हर एक मरे हुये जानवर का दिल खा चुके हैं ये अपना मूत्र भी पीने में नहीं हिचकिचाते है।



अपना शो पूरा होने के बाद घर जाते ही पेट के कीड़े मरने की दवाई जरूर खाते है।

मुस्कुराहट का महत्व। Smile in Hindi

आपकी एक छोटी सी मुस्कान कई रूठे हुए चेहरों को खिला सकती है। अलग -अलग व्यक्तित्व का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है जैसे:-


1   अगर आप एक अध्यापक हैं और जब भी आप मुस्कुराते हुए कक्षा में 
     प्रवेश करेंगे तो देखिये सारे बच्चों के चेहरों पर मुस्कान छा जाएगी।

2   अगर आप डॉक्टर हैं और मुस्कराते हुए मरीज का इलाज करेंगे तो 
     मरीज का आत्मविश्वास दोगुना हो जायेगा।

3   अगर आप एक ग्रहणी है तो मुस्कुराते हुए  घर का हर काम किजिये 
     फिर देखना पूरे परिवार में शान्ति का माहौल बन जायेगा।


4   अगर आप घर के मुखिया है तो जब भी मुस्कुराते हुए शाम को घर में 
     घुसेंगे ना तो देखना पूरे परिवार में कैसे खुशियों का माहौल बन 
     जायेगा।

5   अगर आप एक बिजनेसमैन हैं और आप खुश होकर कंपनी में घुसते हैं 
     तो देखिये सारे कर्मचारियों के मन का प्रेशर कैसे कम हो जायेगा और 
     माहौल भी बड़ा रंगीन हो जायेगा।

6   अगर आप दुकानदार हैं और मुस्कुराकर अपने ग्राहक का सम्मान 
     करेंगे तो देखना दुबारा वही ग्राहक खुश होकर आपकी दुकान से ही 
     सामान लेगा।

7    कभी सड़क पर चलते हुए अनजान आदमी को देखकर मुस्कुराएं, 
      देखिये उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ जाएगी।

8    मुस्कुराइए, क्यूंकि मुस्कराहट के पैसे नहीं लगते ये तो ख़ुशी और 
      संपन्नता की पहचान  है।

9    मुस्कुराइए,  क्यूंकि आपकी मुस्कराहट कई चेहरों पर मुस्कान 
      लाएगी।


10  मुस्कुराइए,  क्यूंकि ये जीवन आपको दोबारा नहीं मिलेगा।

11  मुस्कुराइए,  क्योंकि क्रोध में दिया गया आशीर्वाद भी बुरा लगता है 
     और मुस्कुराकर कहे गए बुरे शब्द भी अच्छे लगते हैं।”

12  मुस्कुराइए , क्योंकि दुनिया का हर आदमी खिले फूलों और खिले 
      चेहरों को ही पसंद करता है।”


13  मुस्कुराइए,  क्योंकि आपकी हँसी किसी की खुशी का कारण बन 
      सकती है।”

14  मुस्कुराइए,  क्योंकि परिवार में रिश्ते तभी तक कायम रह पाते हैं जब 
      तक हम एक दूसरे को देख कर मुस्कुराते रहते है”

-:और सबसे बड़ी बात:- 

15 "मुस्कुराइए, क्योंकि यह मनुष्य होने की पहचान है। एक पशु कभी भी 
      मुस्कुरा नही सकता।”


16  इसलिए स्वयं भी मुस्कुराए और औरो को भी मुस्कुराने का मौका 
      दीजिये

मारवाड़ी भचीड़ । Marwadi in Hindi

एक बार एक महाराष्ट्र रा गुरूजी की नोकरी राजस्थान में लाग गी।
राजस्थान में रेवता गुरूजी न बोळा साल हूग्या
और गुरूजी को मारवाड़ी भाषा रो थोड़ो सो ज्ञान हु ग्यो।
और बे टाबरां ने केंवता की मने पूरी मारवाड़ी आवे है।
टाबर बोल्या गुरूजी मारवाड़ी तो पूरी म्हाने भी कोनी आवे थे कठेऊ सीख ग्या।
बे बोल्या मने तो पूरी आवे है थे कीं पूछ सको हो
लगाओ 500 की शर्त.........
एक दिन गुरूजी सुबह सुबह जंगळ जायकर आया
टूंटी पर हाथ धोवा की टींगर बोल्या
गुरूजी दियाया भचीड़
गुरूजी सोच्यो जंगळ में जाणे ने भचीड़ ही केवे है
हाँ भाई दियायो भचीड़
बात आई गई हूगी
दोपारां मेस में खीर बणाई
एक कानी गुरूजी दूसरी कानी छोरा बैठ्या  जीमण ने
गुरूजी बोल्या भाई खीर की खुसबू तो घणी सांतरी आवे है लागे है खीर जोरदार बणी है।
छोरा बोल्या पछ देखो काई हो गुरूजी
देवो भचीड़।


गुरूजी सोच्यो खीर खाबा न भी भचीड़ ही केवे है शायद
शाम को मैदान में रस्सा कसी को खेल चाल रियो हो
गुरूजी एक छोर रस्से को पकड़कर उबा हा
बठीनू छोरा आया और बोल्या काई करो गुरूजी
गुरूजी बोल्या भाई रस्सा खेंच प्रतियोगिता चालू है
जणा छोरा बोल्या पछे देखो कांई हो गुरूजी
देवो भचीड़
गुरूजी रस्सी ने खींची जणा बा टुटगी गुरूजी क लागी खोपड़ी म।   
छोरा ओजु बोल्या गुरूजी खा लियो     "भचीड़"
          
गुरूजी बोल्या सुबह सू एक ही बात
"भचीड़" - "भचीड़" - "भचीड़" 

छोरा बोल्या गुरूजी म्हे पेली ही आपने कियो हो की
मारवाड़ी आदमी ने कोई कोणी समझ सके गुरूजी तो ल्याओ देवो 500 रिप्या।
गुरूजी जेब म सु काडर रिप्या दिया
और हंसर छोरा बोल्या।   
आ तो मारवाड़ी भाषा है गुरूजी लाग ग्यो न भचीड़
गुरूजी बेहोश